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Posted by: Pt. Ankit Shastri

कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है?

कालसर्प दोष ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण ग्रह दोष माना जाता है। इस दोष के कारण मनुष्य को विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं और उसकी जीवनमार्ग में बाधाएं आ सकती हैं। कालसर्प दोष को जन्मकुंडली में राहु और केतु के प्रकोप के रूप में देखा जाता है। इस दोष के बारे में विभिन्न मान्यताएं हैं, और इसका प्रभाव व्यक्ति की कुंडली के अनुसार भिन्न हो सकता है।

कालसर्प दोष(Kaal Sarp Dosh) का असर लंबे समय तक चल सकता है, जो कुछ मामलों में वर्षों तक बढ़ सकता है। इस दोष के प्रभाव से बचने के लिए व्यक्ति को कुछ उपाय अपनाने पड़ सकते हैं, जो विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्यों द्वारा सुझाए जाते हैं। यह उपाय तांत्रिक रूप से या मंत्र-तंत्र-यंत्र के माध्यम से किए जा सकते हैं। ये उपाय शास्त्रीय पद्धति पर आधारित होते हैं और व्यक्ति की राहु-केतु के स्थान के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं।

कालसर्प दोष से प्रभावित होने पर व्यक्ति में भय, चिंता, आंशिक सफलता, परिवारिक विवाद, स्वास्थ्य समस्याएं, विपत्ति आदि के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इन लक्षणों की गंभीरता और अवधि कुंडली के निर्माण में बढ़ जाती है।

इस दोष का प्रभाव सालों तक चल सकता है, लेकिन इसकी अवधि कुंडली के निर्माण, ग्रहों के स्थिति, दशा-अंतर आदि पर निर्भर करती है। अधिकांश ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि यदि कुंडली में कालसर्प दोष है, तो इसका प्रभाव प्रारंभी तीन सालों में दिखने लगता है और सबसे अधिक गहराई प्राप्त करता है बारहवें वर्ष से आगे। यह अवधि निर्माण के समय की विवेकपूर्ण गणना के आधार पर अलग हो सकती है।

कालसर्प दोष से राहत पाने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से उपाय करने की सलाह दी जाती है। यह उपाय मंत्र जाप, दान, व्रत, यात्रा, पूजा, हवन, ध्यान आदि के माध्यम से किए जा सकते हैं।

कालसर्प दोष को दूर करना, राहु और केतु के दुष्प्रभाव को कम करके ग्रहों की सकारात्मक शक्ति को बढ़ाने का होता है। ये उपाय अपनी कार्योत्पादकता के लिए प्रसिद्ध हैं, लेकिन इनके परिणाम व्यक्ति की आचरण शुद्धता, निष्ठा और समर्पण पर भी निर्भर करते हैं।

काल सर्प दोष कितने साल तक रहता है ?

कालसर्प दोष एक गंभीर मुद्दा हो सकता है और इसके प्रभाव की अवधि कुंडली के निर्माण और ग्रहों के स्थिति पर निर्भर करेगी। यह दोष निवारण के लिए उपर्युक्त उपायों का अनुसरण करने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। हालांकि, उपायों का प्रभाव समय लगातार होता है और सबके लिए समान नहीं होता है। कुछ लोगों को जल्दी लाभ मिलता है जबकि कुछ लोगों को धीरे-धीरे सुधार दिखाई देता है। आपकी सटीक अवधि और प्रभाव के बारे में ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञ से परामर्श लेना सर्वोत्तम होगा।

कालसर्प दोष एक विशेष ज्योतिषीय दोष है जिसे कुंडली में पाया जाता है। इस दोष के प्रभाव से प्रभावित व्यक्ति में विभिन्न समस्याएं और अड़चनें हो सकती हैं। कई लोग कालसर्प दोष को निवारण करने के लिए उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में पूजा करने का महत्व जानते हैं। इस मंदिर में कालसर्प दोष निवारण के लिए अनेक विशेष पूजाएं आयोजित की जाती हैं।

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां कालसर्प दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर को ज्योतिर्लिंग का एक स्थान माना जाता है और यह महाकाल के नाम से भी प्रसिद्ध है। मंदिर में कालसर्प दोष के लिए विशेष पूजाएं की जाती हैं, जिनमें राहु और केतु की आराधना शामिल होती है।

इस प्रक्रिया में, प्रसाद के रूप में दोनों ग्रहों को लेकर पूजा की जाती है, जिसके लिए पंडित या पुजारी के द्वारा विशेष मंत्रों और आरती का पाठ किया जाता है। विशेष प्रकाश, धूप, दीप, फूल, बेल पत्र, सिंदूर, अभिषेक और ब्राह्मणों को दान करके पूजा का अंगीकार किया जाता है। इसके अलावा, ज्योतिषाचार्यों द्वारा कुण्डली और ग्रहों की पढ़ाई की जाती है, जिससे कालसर्प दोष के लिए उचित उपायों का निर्धारण किया जा सकता है।

महाकालेश्वर मंदिर में पूजा करने का महत्व इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण भी है। मंदिर को ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के पुत्र कार्तिकेय के द्वारा स्थापित किया गया है। इसे शक्ति पीठ के रूप में भी माना जाता है, जहां मां पार्वती ने भैरव को ब्रह्महत्या से रक्षा करने के लिए अपनी आदि शक्ति का प्रकट होना किया था।

महाकालेश्वर मंदिर के आस-पास कई प्रमुख ज्योतिषी और पंडित उपस्थित होते हैं, जो व्यक्तिगत परामर्श देते हैं और कालसर्प दोष के निवारण(Kaal Sarp Dosh Nivaran Puja) के उपाय बताते हैं। आपकी कुंडली के अनुसार, आपको विशेष मंत्रों का जाप, दान, हवन और व्रत करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, मंदिर में विशेष पूजा और हवन करवाए जाते हैं जिसमें पंडित या पुजारी द्वारा उपयुक्त मंत्रों का पाठ किया जाता है। धूप, दीप, फूल, पुष्पांजलि, बेल पत्र आदि अन्य पूजा सामग्री का उपयोग भी किया जाता है।

उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में पूजा करने का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से होता है। यह मंदिर हिन्दू धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है और महाकाल के नाम से प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर मंदिर का संबंध पुराणों और अनेक पुरातात्विक आद्यात्मिक कथाओं से जुड़ा है। महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन और पूजा से विशेष आनंद और शांति की अनुभूति होती है।

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